मंगळवार, ३१ ऑक्टोबर, २०१७

संविधान गझल। मराठी कविता। Marathi Kavita

भारताची जगावर छाप आहे संविधान
धर्मग्रंथांच्या बापाचा बाप आहे संविधान
ओस पाडले भेदाचे बुरुज आणि किल्ले
संघवादी पंड्यांना चाप आहे संविधान
तळागाळातून आले नवे पुढारी नवे नेते
घराणेशाहीची कापा काप आहे संविधान
अच्छूताचे पोर बसे सर्वोच्च त्या पदी
मनू बेट्यांना डेंगूचा ताप आहे संविधान
अक्कल हुशारीने बळकावे उद्योगधंदे
टाटा-बिर्लांना केवढी खाप आहे संविधान
तुरुंगातल्या बयेने घेतली अंतराळ भरारी
आई-बाईचे खंडिने माप आहे संविधान
मिटले जुने शिक्के झाले ताठ मस्तक माथे
स्वाभिमानाचा बघा आलाप आहे संविधान
काल होते मागतकरी आज मालामाल
भीमकार्याचा उतूंग प्रताप आहे संविधान
हरेकांना दिली विकासाची समान संधी
बांध घालणाऱ्या कोब्रा साप आहे संविधान
देशाने माझ्या नाही झुकावे कोणापुढे
सार्वभौम त्या भारताचा ज्ञाप आहे संविधान
                              प्रा.डॉ.आनंद इंजेगावकर
                      'सरनामा' लोकाशा नगर,जिंतूर रोड,
                              .          परभणी.

गुरुवार, २६ ऑक्टोबर, २०१७

जेव्हा त्यांना...। मराठी कविता। Marathi Kavita |

जेव्हा त्यांना तुमच्या
संसदेवर राज्य करायचं असतं
तेव्हा पैदा करतात तुमच्यात ते
दलाल भडवे चमचे आणि
गोतास काळ होणारे कुऱ्हाडीचे दांडे
जेव्हा त्यांना तुमच्या
अर्थव्यवस्थेवर राज्य करायचं असतं
तेव्हा लादतात ते तुमच्यावर
न्यू इकॉनामिक पॉलिसी
दावतात रोजगाराचे गाजर आणि
पकडतात ससे टाकून वाघर
जेव्हा त्यांना तुमच्या
मनावर राज्य करायचं असतं
तेव्हा ते तुमच्या
रंध्रारंध्रात सोडतात पोथ्यापुराणातील विषाणू
धर्मग्रंथातील किटाणू
गलोगल्ली देतात देवळांची अंडी आणि
सत्संगात पकडतात मासे
त्यांच्या खमंग रस्यासाठी
जेव्हा त्यांना तुम्हाला
समजू द्यायची नसते व्यवस्था
तेव्हा लावतात ते चंगळवादाची चटक
चढवतात भोंगळवादाची धूंद
विरोधी बाकावरल्यांनाही देतात ते
हा काल्याचा प्रसाद आणि
नाचवतात हिजड्यासारखे
घुंगरं बांधून पायात...
                       प्रा. डॉ. आनंद इंजेगावकर
               'सरनामा' लोकाशा नगर,जिंतूर रोड,
                                  परभणी.

पोल्ट्री फार्म को बनाएं फायदे का सौदा"


हमारे देश में पूरे साल अंडों की बहुत मांग रहती है और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रीशन की राय के तहत भी हर इनसान को 1 साल में 180 अंडे और 11 किलोग्राम चिकन मीट खाना चाहिए, जबकि हमारे देश में साल भर में हर इनसान केवल  53 अंडे और 2.5 किलोग्राम चिकन मीट ही खा पाता है. अब आप इस आंकड़े से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे देश में पोल्ट्री इंडस्ट्री के विकास की कितनी गुंजाइश है. गांव के बहुत से बेरोजगार नौजवान पोल्ट्री बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, पर वे जानकारी न होने की वजह से इस कारोबार में हाथ डालने से घबराते हैं. कोई व्यक्ति इस काम में हाथ डाल भी देता है, तो पोल्ट्री बिजनेस की पूरी जानकारी नहीं होने की वजह से उस का पोल्ट्री कारोबार कामयाब नहीं होता. पोल्ट्री का बिजनेस शुरू करने से पहले इस बिजनेस की हर बारीकी को जान लेना चाहिए, जैसे कौन सी नस्ल (स्ट्रेन) को पाल कर कम खर्चे पर ज्यादा अंडे पैदा किए जा सकते हैं.

हमारे देश के गांवों में ज्यादातर किसान बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग कर के अंडे और चिकन मीट पैदा करते हैं, जिस का इस्तेमाल वे अपने परिवार के खाने में ही कर लेते हैं. अगर ये किसान अपनी बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग को कमर्शियल लेयर/ब्रायलर प्रोडक्शन की यूनिट में बदल दें, तो घर के खाने के अलावा कमाई का एक अच्छा जरीया बना सकते हैं. किसानों के पास खुद की जमीन होती है और शेड बनाने में ज्यादा खर्च भी नहीं होता. अंडा एक बहुत ही पौष्टिक खाना है, सुबह नाश्ते में 1 या 2 अंडे खाए जाएं तो दोपहर तक भूख नहीं लगेगी यानी नुकसानदायक चीजें जैसे परांठे, ब्रेडपकौड़े, समोसे वगैरह खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि आप को भूख नहीं लगेगी. वैसे भी ब्रेडपकौड़े व समोसे वगैरह हर इनसान को नुकसान पहुंचाते हैं. अगर इस की जगह अंडे खाए जाएं, तो  शरीर को जरूरी विटामिन व मिनरल की पूर्ति कम दामों में होगी और सेहत भी अच्छी बनी रहेगी.

हमारे देश में अंडे पैदा करने के लिए बहुत सी मुरगियां यानी स्ट्रेन (ब्रीड) उपलब्ध हैं, पर हमारे देश की आबोहवा ऐसी नहीं है कि कोई भी स्ट्रेन कम खर्च पर ज्यादा अंडे पैदा करने की कूवत रखती हो. इसलिए ऐसी नस्ल का चुनाव करें जो आप के इलाके की आबोहवा में अच्छा उत्पादन कर सके. अंडे पैदा करने के लिए  बीवी 300 स्ट्रेन और चिकन मीट पैदा करने के कोब्ब 400 स्ट्रेन बढि़या मानी गई हैं. ये दोनों स्ट्रेन हमारे देश के सभी राज्यों में गरमी, सर्दी व बरसात सभी मौसमों में कम खर्च पर ज्यादा उत्पादन देने की कूवत रखती हैं. सामान्य मैनेजमेंट पर भी इन दोनों स्ट्रेनों में ज्यादा गरमी, ज्यादा बरसात, ज्यादा ठंड और ज्यादा नमी में मौत दर भी कम है. बीवी 300 मुरगी 18 हफ्ते की होने के बाद अंडे देना शुरू कर देती है और 80 हफ्ते तक 374 अंडे देती है. ये 374 अंडे पैदा करने के लिए (19 से 80 हफ्ते तक) यह मुरगी कुल 46.6 किलोग्राम दाना (फीड) खाती है और पहले दिन से ले कर 18 हफ्ते तक 5.60 किलोग्राम दाना खाती है. यह मुरगी अंडा देना शुरू करने के बाद 80 हफ्ते तक रोजाना औसतन 111 ग्राम दाना खाती है. पहले दिन से ले कर 18 हफ्ते तक डेप्लेशन यानी मोर्टेलिटी व कलिंग 3-4 फीसदी तक ही होती है और 19 हफ्ते से 80 हफ्ते तक डेप्लेशन 7 फीसदी तक होता है.

वेनकोब्ब 400 ब्रायलर दुनिया में जानीमानी कमर्शियल ब्रायलर की उम्दा स्ट्रेन (नस्ल) है. यह हमारे देश के सभी हिस्सों में अच्छे नतीजे देती है. ज्यादा गरमी और ठंड या बरसात के मौसम में इस स्ट्रेन में मोर्टेलिटी बहुत कम होती है और बढ़वार अच्छी होती है. बड़े पैमाने पर ब्रायलर फार्मिंग करने वाले किसान वेनकोब्ब 400 ब्रायलर को ही पालना पसंद करते हैं. वेनकोब्ब 400 ब्रायलर स्ट्रेन 35 दिनों में तकरीबन 3 किलोग्राम फीड खा कर 2 किलोग्राम तक यानी 1900-2000 ग्राम तक वजन हासिल करने की कूवत रखती है. फार्म पर मैनेजमेंट अच्छा हो तो 35 दिनों में केवल 2.75 फीसदी की मौत दर देखी गई है. कमर्शियल लेयर (अंडे देने वाली मुरगी) को केज और डीपलिटर सिस्टम और कमर्शियल ब्रायलर को केवल डीपलिटर सिस्टम से पालते हैं. मुरगी पालने के शेड हमेशा साइंटिफिक स्टैंडर्ड के मुताबिक ही बनाने चाहिए. अगर आप ने पोल्ट्री शेड गलत दिशा और गलत तरीके से बना दिया है, तो आप का सारा पैसा बरबाद होगा ही और गलत तरीके से बनाए गए शेड में आप मुरगी से उस की कूवत के मुताबिक उत्पादन नहीं ले पाएंगे. गलत बने शेड में मुरगियों की मौतें भी ज्यादा होती हैं. मुरगियों को जंगली जानवरों, कुत्ते व बिल्ली वगैरह से बचाने के लिए शेड की चैन लिंक (जाली) अच्छी क्वालिटी की होनी चाहिए. सर्दी के मौसम में शेड को गरम रखने और गरमी के मौसम में शेड को ठंडा रखने के लिए कूलर, पंखे, फागर वगैरह का भी इंतजाम रखें. शेड को थोड़ी ऊंचाई पर बनाएं जिस से बरसात का पानी शेड के अंदर नहीं घुसे. शेड के अंदर गरमीसर्दी के असर को कम करने के लिए शेड की छत पर 6 इंच मोटा थैच (घासफूस का छप्पर) डाल देना चाहिए. पर थैच को आग से बचाने के लिए शेड की छत पर स्प्रिंकलर लगा देना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उसे चलाया जा सके. शेड की छत पर थैच डालने पर गरमी के मौसम में शेड के अंदर 7-10 डिगरी तापमान कम हो जाता है. सर्दी के मौसम में भी थैच शेड के अंदर का तापमान ज्यादा नीचे तक नहीं जाने देता है.

चिकन मीट और अंडा उत्पादन के कुल खर्च का 60 से 70 फीसदी दाने पर खर्च होता है. इसलिए दाने की क्वालिटी एकदम अच्छी होनी चाहिए. पोल्ट्री फीड उम्र, स्ट्रेन, मौसम, प्रोडक्शन स्टेज, फीडिंग मैनेजमेंट वगैरह के पैमाने पर खरा उतारना चाहिए. पोल्ट्री फीड संतुलित नहीं है तो मुरगी कम अंडे पैदा करेगी और पोषक तत्त्व और विटामिन की कमी से होने वाली बीमारियां भी मुरगियों को होने लगेंगी, जैसे फैटी लिवर सिंड्रोम, पेरोसिस, डर्मेटाइटिस, रिकेट्स, कर्लटाय पेरालिसिस वगैरह. अंडे देने वाली मुरगी को लगातार अंडे देने के लिए 2500 से 2650 किलोग्राम कैलोरी वाले फीड की जरूरत होती है, उम्र और अंडे के वजन के मुताबिक ही फीड की कैलोरी तय की जाती है. 1 से 7 हफ्ते के चूजे को 2900 किलोग्राम कैलोरी का फीड, जबकि ग्रोवर को 2800 किलोग्राम कैलोरी का फीड देना चाहिए. मुरगी दाने और फीड बनाने वाले इंग्रेडिएंट (मक्का वगैरह) में नमी कभी भी 10-11 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर मक्के में नमी ज्यादा होती है, तो फंगस लग सकता है और फंगस लगा मक्का फीड में इस्तेमाल करने से उस में अफ्लाटाक्सिन (एक प्रकार का जहर) की मात्रा बढ़ जाएगी, जो मुरगी की इम्युनिटी (बीमारी झेलने की कूवत) को कमजोर कर देगी और मुरगी जल्द ही बीमारी की चपेट में आ जाएगी. बेहतर होगा कि पोल्ट्री फीड प्राइवेट कंपनी से खरीदा जाए ताकि फीड से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके. उत्तरा फीड कंपनी देश में बड़े पैमाने पर उम्दा क्वालिटी का पोल्ट्री फीड बेचती है. इस कंपनी की सेल्स टीम से संपर्क कर के फीड खरीदें. मुरगियों के लिए रोशनी सब से खास चीज है. अंडे देने वाली कमर्शियल मुरगी को 16 घंटे लाइट देते हैं और चूजे को ब्रूडिंग के दौरान 24 घंटे, ग्रोवर/पुलेट को 12 घंटे  लाइट (नेचुरल लाइट) देते हैं. लाइट मौसम व स्ट्रेन वगैरह पर निर्भर करती है और इसी आधार पर ही लाइट का मैनेजमेंट करते हैं. कमर्शियल लेवल पर पीली, लाल, आरेंज रंग की लाइट से अच्छे नतीजे मिलते हैं. ब्रायलर को 24 घंटे लाइट दी जाती है. लाइट देने में किसी तरह की कोई कंजूसी न करें. लाइट 1 वाट प्रति 4 वर्ग फुट के हिसाब से दें. अपने  फार्म  की  मुरगियों (फ्लाक) को समय पर टीके दें. सामान्य वैक्सीनेशन शिड्यूल इलाके और फार्म के मुताबिक पोल्ट्री चूजा बेचने वाली कंपनी से लें और उसे अपनाएं.

फार्म की मुरगियों से लगातार अच्छे अंडे लेने और उन को बीमारी से बचाने के लिए पानी भी सब से अहम चीज है. फार्म की मुरगियों को हमेशा ताजा व साफ पानी यानी जो इनसानों के लिए भी पीने लायक हो, देना चाहिए.  ई कोलाई, साल्मोनेला बैक्टीरिया, पीएच, हार्डनेस, कैल्शियम वगैरह की जांच के लिए पानी की जांच समयसमय पर कराते रहें. अगर जांच में पानी में कोई कमी मिलती है, तो उसे फौरन दुरुस्त करें. सब से अच्छा होगा कि पोल्ट्री फार्म पर आरओ प्लांट लगा कर मुरगियों को उस का पानी दें, इस से मुरगियों की अंडा पैदा करने की कूवत में काफी इजाफा होगा और वे ज्यादा अंडे देंगी और पानी से जुड़ी बीमारियों से भी बची रहेंगी. 3000 लीटर प्रति घंटा आरओ का पानी तैयार करने के लिए आरओ प्लांट पर तकरीबन 5-6 लाख रुपए का खर्च आएगा.

फार्म पर नया फ्लाक डालने से पहले फार्म और शेड की साफसफाई तय मानकों के अनुसार करना जरूरी होता है. शेड के सभी उपकरण (दानेपानी के बरतन, परदे, ब्रूडर, केज) व परदे वगैरह को अच्छी तरह साफ करना चाहिए. पहले फ्लाक के पंख, खाद, फीड बैग वगैरह को जला दें. शेड को साफ पानी से अच्छी तरह धो कर साफ करने के बाद शेड और उपकरणों की सफाई के लिए डिसइन्फेक्टेंट का इस्तेमाल करें. शेड की छत, पिलर वगैरह पर वाइट वाश (चूना) करने के बाद फिर से डिसइन्फेक्टेंट का स्प्रे करें. शेड का फर्श पक्का है तो उसे अच्छी तरह से लोहे के ब्रश से रगड़ कर साफ करें और फिर उस की साफ पानी से अच्छी तरह सफाई कर के उस पर 10 फीसदी वाले फार्मलीन के घोल का छिड़काव करें. खाली शेड में एक्स 185 डिसइन्फेक्टेंट की 4 मिलीलीटर मात्रा 1 लीटर पानी में घोल कर 25 वर्ग फुट रकबे में अच्छी तरह छिड़काव करें. शेड का फर्श कच्चा हो तो शेड के फर्श की 2 इंच तक मिट्टी की परत खरोंच कर निकाल दें और उस जगह पर दूसरे खेत की साफ ताजी मिट्टी डाल दें. अगर पिछले फ्लाक में किसी खास बीमारी का हमला हुआ था, तो पोल्ट्री कंपनी के टेक्निकल डाक्टर से शेड की सफाई का शेड्यूल लें और उसी के अनुसार ही शेड की साफसफाई करें. फार्म पर बायो सिक्योरिटी अपनाएं मतलब फार्म पर बाहर के किसी भी शख्स को न आने दें. आप के फार्म पर बायोसिक्योरिटी जितनी अच्छी होगी तो फार्म की मुरगियों को बीमारी लगने की संभावना उतनी ही कम होगी. इसलिए बायोसिक्योरिटी बनाए रखने के लिए फार्म के गेट पर फुटबाथ बनाएं. सभी वर्कर, सुपरवाइजर, डाक्टर, विजिटर को नहला कर और फार्म के कपड़े पहना कर ही फार्म में घुसने दें. जंगली पक्षी भी बायोसिक्योरिटी को तोड़ते हैं और फार्म पर बीमारी फैलाने में खास रोल अदा करते हैं. इसलिए फार्म पर लगे पेड़ों पर अगर जंगली पक्षियों का बसेरा है, तो उन को खत्म कर दें. अपने मुरगी फार्म से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए सभी मुरगीपालकों को बायोसिक्योरिटी पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. फार्म माइक्रो लेवल पर साइंटिफिक मैनेजमेंट अपनाना जरूरी है, तब जा कर पोल्ट्री फार्म से अच्छे मुनाफेकी उम्मीद की जा सकती है. बीवी 300 और कोब्ब 400 के 1 दिन के चूजे, दाना, दवा, वैक्सीन वगैरह खरीदने के लिए इन कंपनियों में संपर्क करें :
*      वैंकीस इंडिया लिमिटेड.
*      वेंकटेश्वर रिसर्च एंड ब्रीडिंग फार्म प्राइवेट लिमिटेड.
*      बीवी बायो कार्प प्राइवेट लिमिटेड.
*      उत्तरा फूड्स एंड फीड प्राइवेट लिमिटेड.

ध्यान देने लायक बातें:
अंडों को लंबे समय तक खाने लायक बनाए रखने के लिए उन्हें फ्रिज में रखें. अंडे से बनी डिश को फौरन खा कर खत्म कर दें. अंडे से बनी डिश को फ्रिज में कतई स्टोर न करें. वर्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन और पान अमेरिका हेल्थ आर्गनाइजेशन की सलाह के मुताबिक अंडे रोज खाने चाहिए. अंडे में सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स जैसे आयरन और जिंक वगैरह अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं.

पोल्ट्री फार्म ऐसे शुरू करें:
पोल्ट्री फार्म खोलने से पहले पोल्ट्री एक्सपर्ट से सलाहमशवरा करें. इस के नफेनुकसान पर गौर करें. तैयार माल को बेचने की पहले से प्लानिंग तैयार करें. पोल्ट्री एक्सपर्ट या पोल्ट्री चूजादाना बेचने वाली कंपनी के टेक्निकल सर्विस के डाक्टर से बात कर के ट्रेनिंग लें और उन्हीं की देखरेख में ब्रायलर फार्म चलाएं. अगर इस काम को बड़े लेवल पर करना हो, तो प्रोजेक्ट बना कर बैंक से लोन ले सकते हैं. प्रोजेक्ट बनाने में पोल्ट्री कंपनी के टेक्निकल डाक्टर और बैंक के एग्रीकल्चर डेवलपमेंट अफसर से मदद लें.

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Gold Tree India
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शुक्रवार, २० ऑक्टोबर, २०१७

शुक्रवार, १३ ऑक्टोबर, २०१७

लाथा खेटरांच्या । मराठी कविता । Marathi Kavita

लोकशाही संविधान । शब्द केले छोटे
घातले यांनी वाटे । देशाचे माझ्या ।।

सत्ता संपतीची बघा। विषम वाटणी
महालात दाटणी । विलासाची ।।

बळकावले यांनी । जमिनजुमले भूखंड
खेळून कळवंड । संसदेत ।।

खुराक गुराढोरांचा । अन्नसुरक्षा म्हणती
जनलोका बनविती । नपुंसक ।।

पक्वानाच्या राशी । खाऊन घोरती
फुगून मरती । गाढवीचे ।।

देशद्रोहीच असे । उंबऱ्यापर्यंत लांबलेले
सज्जन डांबलेले । तुरूंगात ।।

शेंबडे कार्टे यांचे । सिंहासनी बसे
देशाचे मग कसे । टंबरेल वाजे ।।

हवापालटास यांच्या । परदेश वाऱ्या
वाजविला यांनी बोऱ्या । तिजोरीचा ।।

कालचे लुंगीवाले । आज मालामाल
करुन हालाहाल । बकऱ्यांचे ।।

कसाईच सगळे । खादाड यांच्या जाती
संडासही खाती । आनंदाने ।।

जगणेच यांचे । पैषाला समर्पित
नोटांच्याच थप्पीत । फुक्का यांना ।।

प्रजासत्ताकाच्या नावे । परिवाराची सत्ता
घाला यांना लाथा । खेटराच्या ।।

                     प्रा.डॉ.आनंद इंजेगावकर
          'सरनामा' लोकाशा नगर,जिंतूर रोड,
                               परभणी.

सोमवार, ९ ऑक्टोबर, २०१७

शिर्डीचे साईबाबा


आपली मनोकामना पूर्ण व्हावी या आशेने साईबाबांना साकडे घालण्यासाठी समस्त जातिधर्माचे लोक हजारोंच्या संख्येने जिथे येतात ती साईबाबांची शिर्डी. बाबा जणूकाही एखादी जादूची कांडी फिरवतील आणि आपले संपूर्ण आयुष्यच बदलून जाईल अशी आशा बाळगून येणारे लोक बाबांचा आशीर्वाद घेऊन तृप्त समाधानी मनाने इथून परत जातात. परिपूर्ण श्रद्धेचे स्थान म्हणून शिर्डी ओळखली जाते.
श्री सच्चिदानंद सद्गुरु साईनाथमहाराज जे आज साईबाबा म्हणून ओळखले जातात त्यांचे समाधिस्थान शिर्डी. साईबाबा एक फकीर होते. ते तरुणपणी शिर्डी येथे आले आणि जवळपास साठ वर्षे इथेच राहिले. ते ज्ञानी होते. लौकिक जगातील कोणत्याच इच्छा त्यांना नव्हत्या. दैवी चमत्कार करण्याची ताकद त्यांच्यात होती. ते योगी होते आणि अनेक प्रसंगी त्यांनी दैवी चमत्कार घडवले होते. साईबाबांचे फकिराचे साधे आयुष्य पण अनेक जीवन मूल्यांनी परिपूर्ण. त्यामुळे त्यांचा भक्तपरिवार वाढत गेला.
आधी साईबाबा शिर्डी गावाबाहेर निंब वृक्षाखाली ४-५ वर्षे राहिले. या स्थानाला गुरुस्थान असे म्हणले जाते. द्वारकामाई इथे एका भिंतीवर फक्त हार घातला आहे. इथे कोणाचीही मूर्ती किंवा प्रतिमा नाही. द्वारकामाई/ बहिष्कृत मशीद, जिथे त्यांनी झाडे लावली ती लेंडी बाग या सगळ्या ठिकाणी प्रार्थनाकरून बाबांचे भक्त आशीर्वाद घेतात. साईबाबांनी शिकवलेली मूल्ये अंगी बाणवली तर परमेश्वराच्या जवळ जाण्याचा मार्ग अजून सुकर होतो हीच शिर्डीची शिकवण आहे. साईबाबा सर्व धर्म समान मानत असत आणि त्यांनी प्रेम व दया असा मोठा वैश्विक धर्म स्थापला होता. मोठ्याप्रमाणावर जे भक्त इथे दर्शनासाठी येतात ते हाच धडा घेऊन जातात.
असे म्हणतात की दरदिवशी सुमारे ७०,००० ते ७५,००० लोक साईंच्या दर्शनासाठी इथे येतात. गुरुवार, रविवार आणि सुट्टीच्या दिवशी तर हा आकडासहज लाखावर जातो. श्री साईबाबा संस्थान न्यास (ट्रस्ट), शिर्डी यांनी भक्तांच्या निवासाकरता सोय केली आहे. इथे दररोज सुमारे ४० हजार लोकांची रुचकर जेवणाची सोय वाजवी दरात होते. साध्या आणि शांत आयुष्याचा अनुभव इथे आल्यावर घेता येतो. साईबाबांचे समाधिस्थळ हे अत्यंत पवित्र स्थळ आहे. मंदिराच्या मुख्य इमारतीचे काम साईबाबांचे निस्सीम भक्त नागपूरचे श्री गोपाळराव बुट्टी यांच्या सहाय्याने झाल्याने या भागाला 'बुट्टीवाडी' असेही म्हणतात. मंदिराचे बांधकाम दगडी असून मुख्य समाधिस्थळ व साईबाबांची मूर्ती ही पांढऱ्या संगमरवराची घडवलेली आहे. अंदाजे ६०० भक्तांना एकावेळी बसता येईल असा विस्तृत सभामंडप मंदिरासमोर बांधला आहे. स्वतः साईबाबांच्या वापरातील काही उपलब्ध वस्तुंचा संग्रह मंडपात केला आहे. पहिल्या मजल्यावर साईबाबांच्याआयुष्यातील काही प्रसंग दाखवणारी चित्रे आहेत. या मंदिराचा परिसर अंदाजे २०० चौ. मी. इतक्या क्षेत्रावर पसरलेला आहे. मंदिर परिसरात पिण्याच्या पाण्याची उत्तम सोय आहे. बाबांशी संबंधित चित्रे आणि पुस्तके विक्रीसाठी उपलब्ध आहेत. प्रसादवाटपाची स्वतंत्र सोय एका जागी केलेली आहे. मुख्यमंदिराच्या शेजारीच ध्यानधारणेसाठी एक वेगळे सभागृह बांधले आहे.
अंतर : मुंबई पासून २४२ किलोमीटर
कसे जाल ?
रस्ता 
शिर्डीपासून कोपरगाव १५ कि.मी., अहमदनगर ८३ कि.मी., मनमाड ८७ कि.मी., नाशिक ११९कि.मी., अंतरावर आहे. महाराष्ट्र राज्य परिवहन मंडळाच्या, इतर राज्यांच्या आणि अनेक खाजगी बसगाड्यांचे पर्याय इथे येण्यासाठी उपलब्ध आहेत.
रेल्वे
साईनगर-शिर्डी हे मार्च २००९ मध्ये सुरु झालेले रेल्वेस्थानक शहरापासून २ कि.मी. वर आहे. मुंबई, चेन्नई, विशाखापट्टणम (सिकंदराबाद-मैसूर-इत्यादि शहरांमार्गे) इथून शिर्डीस येण्यासाठी रेल्वेची सोय आहे.